Paheliyan
201 se 210 tak
छोटे से है मटकूदास , कपड़ा पहने सौ पचास।
उत्तर – प्याज
सुख-दुःख की जीवन साथी, पग- पग साथ निभाती हूँ।
क्षण भर मैं जुदा न होती, हाँ, बड़ी, छोटी बन जाती हूँ।
उत्तर – परछाई
आग भरे गुड़गुड़िया दास, पेट में जिनके पानी,
पूंछ लगाकर उसकी मुँह में, उगले धुआं रमजानी।
उत्तर – हुक्का
लाल – लाल पट,गोल-गोल, खाने का समय हाय-हाय।
उत्तर – मिर्च
एक पेड़ कश्मीरा, कुछ लौंग फरे,
कुछ जीरा, कुछ ककड़ी, कुछ खीरा।
उत्तर – महुआ
चार खड़े, चार पड़े, बीच में ताने बाने,
पसरे हैं लम्बोदर लाला, लम्बी चादर ताने।
उत्तर – चारपाई
पत्थर पर पत्थर, पत्थर पर पैसा,
बिना पानी के घर बनावे, वह कारीगर कैसा ?
उत्तर – मकड़ी
पढ़ने में, लिखने में, दोनों में आता हूँ काम , पेन नहीं हूँ, कागज नहीं हूँ। सोचो फिर क्या है मेरा नाम।
उत्तर – चश्मा
बीच ताल में बसे तिवारी, बे कुंजी की लगी किवाड़ी।
उत्तर – घोंघा
चार चिड़ियाँ, चार रंग, पिंजड़े में, एक रंग।
उत्तर – पान