Hindi Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Hindi Paheliyan:
781
ना हाथ, ना पांव है, ना सिर है, ना पेटी।
राह देखत रहत रोज, सबके बेटा – बेटी।
उत्तर – चिट्ठी
782
दूर से सब को दरस दिखावे, हाथ किसी के कभी न आवे।
उत्तर – बिजली
783
हाथ में लीजै, देखा कीजै।
उत्तर – आईना
784
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सभी रोज हैं खाते।
इससे कभी पेट न भरता, बाद में वे काफी पछताते।
उत्तर – कसम
785
हाथ पैर तो एक कहो, पेट है मेरा गहरा,
मेरा मालिक सो जाए, तो तट पर देता पहरा।
उत्तर – नाव
786
बूढ़ा – बच्चा कोई आए, उसके आगे शीश नवाए,
गर्दन पर रगड़े औजार, बूझो झटपट मेरे यार।
उत्तर – नाई
787
गया, तो लौटा कभी नहीं, सम माने मय लोक।
आने से न रोक सके,जाएगा, लाख तू रोक।
उत्तर – समय
788
सिर बिना बेकार है, इसका लंब शरीर।
बुद्धि रहे ना पास में, पांव चुभे दे पीर।
उत्तर – आलपिन
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श्याम वर्ण और सोहनी, फूलन साजै पीठ।
सब शुरन के संग रहे, ऐसी बन गई ढीठ।
उत्तर – दाल
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भारत का एक नगर हूँ, दो अक्षर का नाम है।
खाने में रुचिकर बहुत, दर्शन से सुर धाम।
उत्तर – पूरी