Majedar paheliyan ,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Majedar paheliyan:
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तीन रंग के सुन्दर पक्षी, निल गगन में भरे उड़न, यह है सबकी आँखों का तारा, हम सब करते इसका सम्मान।
उत्तर – तिरंगा झंडा
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खुशबु है पर फूल नहीं, जलती है पर इश्र्या नहीं।
उत्तर – अगरबत्ती
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हाथ- पैर में जंजीर पड़ी, फिर भी दौड़ लगाता।
टेढ़े मेढे रास्तो से , गांव- गांव घुमाता।
उत्तर – साईकिल
224
धक-धक मैं हूँ करती, फक- फक धुआं फेकती,
बच्चे बूढ़े मुझ पर चढ़ते, निशानों पर मैं दौड़ती।
उत्तर – रेलगाड़ी
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खड़ा द्वार पर ऐसा घोड़ा, जिसने चाहा पेट मरोड़ा।
उत्तर – ताला
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चुपके से मैं आती हूँ, तुमको रोज सुलाती हूँ,
आहट पाकर सूरज की जल्दी से भाग जाती हूँ।
उत्तर – रात
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काला-काला गोल तवे सा, रोटी नहीं पकाऊं,
सुई के तन में चुभते ही गाना तुम्हें सुनाऊँ।
उत्तर – ग्रामोफ़ोन
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कट- कट गया हुआ हल, सब्जी खाएंगे उसे हम कल ?
उत्तर – कटहल
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छोटा- सा काला घर, पर चलता है, इधर-उधर।
उत्तर – छाता
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जाने कहाँ किधर से आता, फिर न जाने क्यों छिपकर जाता।
आसमान में पड़े दिखाई साथ रंग से रखता नाता।
उत्तर – इंद्रधनुष