Paheliyan ,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
261
सिर काटों तो तोला जाऊँ, पैर कटे इक वृक्ष कहाऊँ,
कमर कटे तो जंगल जानो, जरा मुझे तो तुम पहचानो।
उत्तर – बटन
262
अंधे मुझको नहीं जानते, काना कुछ पहचाने,
जिनको दिखाई कम देता, वे मेरे दीवाने।
उत्तर – चश्मा
263
है पानी का मेरा चोला , हूँ सफेद आलू-सा गोला।
कही उलट यदि मुझको पाओ, लाओ-लाओ कहते जाओ।
उत्तर – ओला
264
एक पैर है काली धोती, जाड़े में हूँ हरदम सोती,
गर्मी में हूँ छाया देती, वर्षा में हूँ हरदम रोती।
उत्तर – छतरी
265
जादू के डंडे को देखो, बिन तेल बिन बाती,
नाक दबाते तुरन्त रोशनी, सभी ओर फैलाती।
उत्तर – टार्च
266
दो अक्षर का मेरा नाम, सर को ढकना मेरा काम।
उत्तर – टोपी
267
सिर पर कलगी, पर मैं न चन्दा ,
गरजे बादल, नाचे बन्दा।
उत्तर – मोर
268
सीधी होकर , नीर पिलाती,
उल्टी होकर, दीन’ कहाती।
उत्तर – नदी
269
एक नारी के हैं दो बालक, दोनों एक ही रंग,
पहला चले दूसरा सोवे, फिर भी दोनों संग।
उत्तर – चक्की
270
हवालात में बन्द पड़ी हूँ। फिर भी बाहर पाओगे।
बिना पैर के सैर करूँ मैं, बिन मेरे मर जाओगे।
उत्तर – हवा