Paheliyan , पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
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ले दांतों की बड़ी कतार, सिर पर नाचे काठ कहार,
उसके बिना न रहती नारी, एक अचम्भा है यह भारी।
उत्तर – कंघी
312
एक पहेली मैं बुझाऊ, सिर को काट नमक छिडकाऊं।।
उत्तर – खीरा
313
एक बहादुर ऐसा वीर, गाना गाकर मारे तीर।
उत्तर – मच्छर
314
काला घोड़ा, गोरी सवारी, एक के बाद, एक की नारी।
उत्तर – रोटी
315
राजा रानी सुनो कहानी, एक घोड़े में दो रंग का पानी।
उत्तर – अण्डा
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टेक लकड़ी चलता, तोड़ा नमक कानून,
एक मात्र सवार था, मुझ पर आजादी का जूनून।
उत्तर – महात्मा गाँधी
317
छोटी जाती में पैदा हुआ, कहते हैं मुझको सभी बाबा,
संविधान निर्माता हूँ, दिल्ली मेरा काशी।
उत्तर – बाबा अम्बेडकर
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तिलक माथे का नहीं, हूँ पुरे देश का,
गंगाधर हूँ, शिव नहीं पर्वत प्रदेश का।
उत्तर – बाल गंगाधर तिलक
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शेर हूँ पंजाब का , आजादी सेनानी,
बूढ़ा था पर ढूंढो तो, तुम मेरा एक रानी
उत्तर – लाल लाजपत राय
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आनन्द भवन मेरा घर, कमला मेरा माता,
गुरु गाँधी, और मातृभूमि भारत माता।
उत्तर – जवाहर लाल नेहरू