Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
701
बीच में ले ताली बजी, निकल आग से थाल सजी।
उत्तर – तंदूरी रोटी
702
मुंह मोड़ छिपे पेट में, पर वो कछुआ नाहिं।
बांटन से पहले काटन को, हर घर राखत जाहिं।
उत्तर – चाकू
703
एक चीज सस्ते में आए, गर्दन खातिर नाम कमाए।
राखै पानी, खुद ना पिए, बड़ा सुख गर्मी में दिए।
उत्तर – सुराही
704
एक नार के मध्य में किलि, बिन किली वो रहती दिली।
ना लहंगा, ना पहने साड़ी, वस्त्र के बिच रहे उघाड़ी।
उत्तर – कैची
705
धूप लगे सूखे नहीं, छांव लगे कुम्हलाए।
उसकी बात लगे निराली, हवा लगे, तो मर जाय।
उत्तर – पसीना
706
पतली काया दांत अनेक, आवे – जाए बारी – बारी,
हाथ खिंच कहें – भारी, ये कहती है काटूं सारी।
उत्तर – आरी
707
सारे जग की बात सुनाता, मैं लोंगो का मन बहलाता।
बिजली से या खाऊं सेल, ऐंठो कान, तब देखो खेल।
उत्तर – रेडियो या ट्रांजिस्टर
708
तन फूलो – सा गोल – गोल, बने नहीं कभी अधूरी।
पहले एक, फिर होय दो, आकृति तब होय पूरी।
उत्तर – पूरी
709
आते ही आधा नाम बताऊं, कभी अशुभ मैं समझा जाऊं।
उत्तर – छींक
710
ना फले, ना कभी फुलाय, आखिर में ये मुंह में जाय।
उत्तर – पान