Paheliyan  111 se 120 tak

कद के छोटे कर्म  के हीन, बिन – बजाने के शौकीन ? उत्तर – मच्छर

रोज शाम को आती हूँ मैं , रोज सबेरे जाती हूँ , नींद न मुझको कभी समझना, यघपि तुम्हें सुलाती हूँ। उत्तर – रात

एक खेत में ऐसा हुआ, आधा बगुला आधा सुआ। उत्तर – मूली

एक नारी की चाल है झूठी , वे सर काटे रहे वह रूठी , जब करे मुहँ उसका काला, काम करे सबसे आला। उत्तर – कलम

एक डिब्बे में बत्तीस दाने, बुझने वाले बड़े सयाने। उत्तर – दाँत

पेट कहलाए जंगल, तीन अक्षर की सौगात , देने वाला दे देता, दूसरे के आए न हाथ। उत्तर – वचन

दबे पाँव घुस जाती, चीजें चट कर जाती, जब पकड़े उसे दौड़कर, छू मन्तर हो जाती है उत्तर – बिल्ली

देखने बम गाठ- गठीला, खाने में हूँ खूब रसीला। उत्तर – गन्ना

आदि कटे तो वन बन जाऊँ, मध्य कटे तो जीन, अन्त कटे तो जीव बताता, अक्षर केवल तीन। उत्तर – जीवन

आदि कटे तो वन बन जाऊँ, मध्य कटे तो जीन, अन्त कटे तो जीव बताता, अक्षर केवल तीन। उत्तर – जीवन