Paheliyan  141 se 150 tak

दो सुन्दर लड़के, दोनों एक रंग के, एक बिछुड़ जाए, तो दूजा काम न आए। उत्तर – जूता

मध्य कटे तो सास बन जाऊँ, अन्त कटे तो सार समझाऊँ, मैं हूँ पंक्षी, रंग सफेद, बताओ मेरे नाम का भेद। उत्तर – सारस

हम पेड़ों पर चढ़े, धरती पर भी चले, चूहे हमको देखकर डरे, कुत्ते देख हम डरे ? उत्तर – बिल्ली

तीन अक्षर का मेरा नाम, प्रथम कटे तो रहूँ पड़ा, मध्य कटे तो हो जाऊँ कड़ा, अन्त कटे बनता कप, नहीं समझना इसको गप्प। उत्तर – कपड़ा

मैं अलबेला कारीगर, काटू काली घास, राजा, रैंक और सिपाही, सिर झुकाते मेरे पास। उत्तर – नाई

सिर पर हूँ पर बाल नहीं, बेसन हूँ पर दाल नहीं, सरपट में पर चाल नहीं सरगम में पर ताल नहीं ? उत्तर – स , अक्षर

तारों की जो ओढ़ चुनरिया, साँझ दल ओ जाती है , बच्चों, बोलो कौन है वो, जो चाँद से मिलवाती है। उत्तर – रात

मैं हूँ एक ऐसा जीव, कभी नहीं मर सकता हूँ, मेरा निशिचत आकार नहीं, जैसा चहुँ बन जाता हूँ। उत्तर – अमीबा

चार अंगुल का पेड़, सवा मन का पत्ता, फल लगे अलग – अलग, पक जाये इकटठा। उत्तर – कुम्हार का चाक

सरपट दौड़े हाथ न आये, घड़ियाँ उसका नाम बताये। उत्तर – समय