Paheliyan  191 se 200 tak

कहलाती है रात की रानी, आँख से निकले हरदम पानी। उत्तर – मोमबत्ती

मैं अपने बिल में रहूँ, जब चाहूँ बाहर आऊँ, मेढ़क देखकर उठा कर दाव लगाऊँ , वैसे मानव मात्र सब, कहते मुझको काल, पर अपने उपयोग में, लावे मेरी खाल। उत्तर – साँप

तीन अक्षर नाम मेरा नाम ,आता हूँ खाने के काम, मध्य कटे तो बन जाऊँ चाल, मेरा नाम सदा तत्काल। उत्तर- चावल

पहले थी मैं भोली- भोली, तब सहती थी मार, अब पहनी मैंने लाल चुनरिया, अब न  सहूँगी मार। उत्तर – मिट्टी का घड़ा

तीन अक्षर का मेरा नाम,प्रथम कटे तो राम बनूँ, अन्त कटे तो शहर का नाम, मध्य कटे तो बनूं फल का नाम बताओ सब तुम मेरा नाम ? उत्तर – आराम

पेट में अंगुली सिर पर पत्थर, जल्दी से बताओ उसका उत्तर। उत्तर – अंगूठी

मेरा अपना कोई न रूप, औरों के चुराता रूप, फिर भी मुझे सभी अपनाते, देख-देख कर इतराते। उत्तर – दर्पण

जीभ नहीं, पर फिर भी बोले, बिना पाँव सारा जग बोले, राजा, रंक सभी को भाता, जब आता तब खुशियाँ लाता। उत्तर – रुपया

दीन-दुखियों को देखकर, तेरे मन में मैं आती हूँ, और तुझमें सेवा का भाव जगाती हूँ। उत्तर – करुणा

बारह मेरे भाई ,इनको आकार देने वाले, दो निर्माता, तीसरा निर्माता, तेजी से चलता हुआ, बताओ इन सबसे, मिलकर मैं क्या बनी ? उत्तर – घड़ी