Paheliyan
221 se 230 tak
तीन रंग के सुन्दर पक्षी, निल गगन में भरे उड़न, यह है सबकी आँखों का तारा, हम सब करते इसका सम्मान।
उत्तर – तिरंगा झंडा
खुशबु है पर फूल नहीं, जलती है पर इश्र्या नहीं।
उत्तर – अगरबत्ती
हाथ- पैर में जंजीर पड़ी, फिर भी दौड़ लगाता।
टेढ़े मेढे रास्तो से , गांव- गांव घुमाता।
उत्तर – साईकिल
धक-धक मैं हूँ करती, फक- फक धुआं फेकती,
बच्चे बूढ़े मुझ पर चढ़ते, निशानों पर मैं दौड़ती।
उत्तर – रेलगाड़ी
खड़ा द्वार पर ऐसा घोड़ा, जिसने चाहा पेट मरोड़ा।
उत्तर – ताला
चुपके से मैं आती हूँ, तुमको रोज सुलाती हूँ,
आहट पाकर सूरज की जल्दी से भाग जाती हूँ।
उत्तर – रात
काला-काला गोल तवे सा, रोटी नहीं पकाऊं,
सुई के तन में चुभते ही गाना तुम्हें सुनाऊँ।
उत्तर – ग्रामोफ़ोन