Paheliyan
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सिर काटों तो तोला जाऊँ, पैर कटे इक वृक्ष कहाऊँ,
कमर कटे तो जंगल जानो, जरा मुझे तो तुम पहचानो।
उत्तर – बटन
अंधे मुझको नहीं जानते, काना कुछ पहचाने,
जिनको दिखाई कम देता, वे मेरे दीवाने।
उत्तर – चश्मा
है पानी का मेरा चोला , हूँ सफेद आलू-सा गोला।
कही उलट यदि मुझको पाओ, लाओ-लाओ कहते जाओ।
उत्तर – ओला
एक पैर है काली धोती, जाड़े में हूँ हरदम सोती,
गर्मी में हूँ छाया देती, वर्षा में हूँ हरदम रोती।
उत्तर – छतरी
जादू के डंडे को देखो, बिन तेल बिन बाती,
नाक दबाते तुरन्त रोशनी, सभी ओर फैलाती।
उत्तर – टार्च
दो अक्षर का मेरा नाम, सर को ढकना मेरा काम।
उत्तर – टोपी
सिर पर कलगी, पर मैं न चन्दा ,
गरजे बादल, नाचे बन्दा।
उत्तर – मोर
सीधी होकर , नीर पिलाती,
उल्टी होकर, दीन’ कहाती।
उत्तर – नदी