Paheliyan  261se 270 tak

सिर काटों तो तोला जाऊँ, पैर कटे इक वृक्ष कहाऊँ, कमर कटे तो जंगल जानो, जरा मुझे तो तुम पहचानो। उत्तर – बटन

अंधे मुझको नहीं जानते, काना कुछ पहचाने, जिनको दिखाई कम देता, वे मेरे दीवाने। उत्तर – चश्मा

है पानी का मेरा चोला , हूँ सफेद आलू-सा गोला। कही उलट यदि मुझको पाओ, लाओ-लाओ कहते जाओ। उत्तर – ओला

एक पैर है काली धोती, जाड़े में हूँ हरदम सोती, गर्मी में हूँ छाया देती, वर्षा में हूँ हरदम रोती। उत्तर – छतरी

जादू के डंडे को देखो, बिन तेल बिन बाती, नाक दबाते तुरन्त रोशनी, सभी ओर फैलाती। उत्तर – टार्च

दो अक्षर का मेरा नाम, सर को ढकना मेरा काम। उत्तर – टोपी

सिर पर कलगी, पर मैं न चन्दा , गरजे बादल, नाचे बन्दा। उत्तर – मोर

सीधी होकर , नीर पिलाती, उल्टी होकर, दीन’ कहाती। उत्तर – नदी