Paheliyan
101 se 110 tak
गुटुरंगू भाई गुटुरंगू , रंग सलेटी, छत पर हूँ।
दादा फेंको तो मुन्ने, आ जाऊंगा, आँगन में।
उत्तर – कबूतर
लाल- लाल आँखें, लम्बे- लम्बे कान।
रुई का फुहासा, बोलो क्या उसका नाम?
उत्तर – खरगोश
रात गली में खड़ा-खड़ा, डंडा लेकर बड़ा-बड़ा।
रहो जागते होशियार, कहता है वो बार – बार।
उत्तर – चौकीदार
घोड़ा दौड़ा पटरी पर, फिर उड़ जायेगा ऊपर।
बादल के प्यारे घर में, दूर हवा में अंदर में।
उत्तर – हवाई जहाज
सिर पर जिसके कलगी लाल , हरी सुनहरी दुम ,
कुकड़ कू के करने वाला, बोलो क्या कहते हो तुम ?
उत्तर – मुर्गा
आई गरमी, आया मैं , बच्चों के मन भाया मैं।
गुठली चूसो या फेकों , लाल सुनहरा आया मैं।
उत्तर – आम
डिब्बे पे डिब्बा, डिब्बा का गाँव,
चलती फिरती बस्ती, लोहे के पाँव।
उत्तर – रेल
बूझो भैया एक पहेली, जब काटो तो नई नवेली।
उत्तर – पेन्सिल
जान बेयर्ड ने मुझे बनाया, दुनिया ने मुझे अपनाया, गीत, खेल व फिल्म दिखाऊँ, सबका मैं मन बहलाऊँ।
उत्तर – टेलीविजन
हरा हूँ पर पत्ता नहीं, नकलची हूँ पर बन्दर नहीं ,
बूझो तो मेरा नाम सही।
उत्तर – तोता