Paheliyan
291 se 300 tak
तीन पैर से तिकड़म बाबू, उठकर गंगा नहाते,
दाल-भात का स्वाद न जाने, सुखी रोटी खाते।
उत्तर – चकला
बोल नहीं पाती हूँ मैं, और सुन नहीं पाती।
बिन आँखों के हूँ अंधी, पर सबको राह दिखाती।
उत्तर – पुस्तक
पास में उड़ता-उड़ता आए, क्षण भर देखूं चिप जाए।
बिन आग के जलता जाए, सबके मन को लुभाए
उत्तर – जुगनू
कमर पतली है, पैर सुहाने, कहीं गये होंगे बिन बजाने।
उत्तर – मच्छर
एक झाड़ी में तीस डाली, आधी सफेद, आधी काली।
उत्तर – माह के दिन व रात
चाँद सा मुखड़ा, तन चमकीला, सभी को भाता फिर भी, जल्दी न आता।
उत्तर – रुपया
वह क्या है ? जो होता छोटा, पर कहलाता बड़ा।
उत्तर – दही बड़ा
काली हूँ मैं गहरा पेट, मेज पर जाती हूँ लेट,
लोग मारते मुँह पर भाले, लिखते अक्षर काले – काले।
उत्तर – दवात
मैं छोटा सा फकीर, मेरे पेट में है लकीर।
उत्तर – गेहूँ
एक लड़का माली का, कुर्त्ता पहने जाली का ,
अंदर से यह काम करें, पत्थर को सलाम करें।
उत्तर – नारियल