Paheliyan  81 se 91 tak

दिन में सोये , रात को रोये। जितना रोये , उतना खोये। उत्तर- मोमबत्ती

रंग बिरंगी मेरी काया है, बच्चों को मुझ से भाया है, धरा चला मुझको भाया है , मुरलीअधर न लाया है। फिर भी नाद सुनाया है। उत्तर – लट्टू

शिवजी जटा में गंगा का पानी , जल का साधु , बूझो तो ज्ञानी। उत्तर – नारियल

मंदिर में इसे शीश नवायें , मगर राह में ठुकरायें। उत्तर – पत्थर

दूर के दृश्यों को वह, घर पर दिखलाता है। उसका नाम बताओ बच्चों, वह सबके मन को भाता है। उत्तर – दूरदर्शन

सिर काट दो दिल दिखाता हूँ, पैर काट तो आर्द्र बना हूँ। पेट काट दो, कुछ न बताता, प्रेम से अपना शीश नवाता। उत्तर – नमक

यदि मुझको उल्टा कर देखो, लगता हूँ मैं नव जवान। कोई पृथक नहीं रहता, बूढ़ा, बच्चा या जवान। उत्तर – वायु

अगर नाक में चढ़ जाऊँ, कान पकड़ कर तुम्हें पढ़ाऊँ। उत्तर – चश्मा

मैं हूँ हरे रंग की रानी, देखकर आये मुहँ में पानी , जो भी मुझको चबाएँ, उसका मुहँ लाल हो जाय। उत्तर – पान