Paheliyan
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दिन में सोये , रात को रोये।
जितना रोये , उतना खोये।
उत्तर- मोमबत्ती
रंग बिरंगी मेरी काया है, बच्चों को मुझ से भाया है,
धरा चला मुझको भाया है , मुरलीअधर न लाया है।
फिर भी नाद सुनाया है।
उत्तर – लट्टू
शिवजी जटा में गंगा का पानी , जल का साधु , बूझो तो ज्ञानी।
उत्तर – नारियल
मंदिर में इसे शीश नवायें , मगर राह में ठुकरायें।
उत्तर – पत्थर
दूर के दृश्यों को वह, घर पर दिखलाता है।
उसका नाम बताओ बच्चों, वह सबके मन को भाता है।
उत्तर – दूरदर्शन
सिर काट दो दिल दिखाता हूँ, पैर काट तो आर्द्र बना हूँ।
पेट काट दो, कुछ न बताता, प्रेम से अपना शीश नवाता।
उत्तर – नमक
यदि मुझको उल्टा कर देखो, लगता हूँ मैं नव जवान।
कोई पृथक नहीं रहता, बूढ़ा, बच्चा या जवान।
उत्तर – वायु
अगर नाक में चढ़ जाऊँ, कान पकड़ कर तुम्हें पढ़ाऊँ।
उत्तर – चश्मा
मैं हूँ हरे रंग की रानी, देखकर आये मुहँ में पानी ,
जो भी मुझको चबाएँ, उसका मुहँ लाल हो जाय।
उत्तर – पान