Paheliyan
91 se 100 tak
बाप बहुत ही खुरदरा टेढ़ा मेढ़ा होता, देखते मन ललचात है बेटा ऐसा होता।
उत्तर – आम
पैर नहीं पर चलती हूँ , कभी न राह बदलती हूँ ,
नाप- नाप कर चलती हूँ , तो भी न घर से टलती हूँ।
उत्तर – घड़ी
मेरे शरीर में दस खिडक़ियां, अंगुली डाल घुमाओ जी,
जिससे चाहो करो तुम बात, अपना हाल सुनाओ जी।
उत्तर – टेलीफोन
पूंछ कटे तो सीना, सिर कटे तो मित्र।
मध्य कटे खोपड़ी पहेली बड़ी विचित्र।
उत्तर – सियार
काला हूँ , कलूटा हूँ ,
हलवा पूरी खिलाता हूँ।
उत्तर – कड़ाही
बाँस जैसा दुबला पतला हूँ रस बसे भरा ,
चाहे मुझको छील कर खाओ , या चबा कर रस निकालो।
उत्तर- गन्ना
लिखता हूँ पर पैन नहीं, चलता हूँ पर गाड़ी नहीं ,
टिक- टिक
करता हूँ ,पर घड़ी न
हीं।
उत्तर- टाइपराइटर