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शाहबलूत तथा सरकंडा

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कहानी

एक बार नदी के तट पर एक बहुत ही विशालकाय का पेड़ था। एक दिन वह तूफान से उखड़ गया और पानी में बहते बहते उसने नदी के किनारे शान से खड़े सरकंडे से कहा की ‘तुम तो बहुत ही कमजोर हो लेकिन तूफान ने तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगाड़ा। वहीं मैं तो इतना बड़ा हूं और मैं तूफान ने तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगाड़ा। वहीं मैं तो इतना बड़ा हूं और मैं तूफान से पूरा का पूरा उखड़ गया। ये कैसे?’ सरकंडे ने जबाव दिया ‘तुम बहुत ही कठोर थे। तुम तूफान के विपरीत लड़े जो कि तुमसे अधिक शक्तिशाली था। लेकिन हम झुक गए। तो हमें तूफान ने कोई नुकसान नहीं पहुंचया।’

शिक्षा

टूटने से बेहतर है झुक जाना।

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