Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
741
फटा पेट और उभरे होठ, जल में पाया जाऊं,
तेज ध्वनि विष्णुजी धारें, पूजा – स्थल पर पाऊं।
उत्तर – शंख
742
हाड़ नहीं, मांस नहीं, अगुलियां है मेरी,
ओ ज्ञानी, झट नाम बता, परखूं अक्कल तेरी।
उत्तर – दस्ताना
743
बड़ – छोट केहू भयो, सबकी मुट्ठी में आय।
पर कोठरी में तान के, कबहुं नहीं समाय।
उत्तर – लाठी
744
बिजली खाऊं, बटन दबवाउं, यंत्रों का हूँ नेता।
काज गणित या लेखन का, पल में सब कर देता।
उत्तर – कंप्यूटर
745
लाल जीव हूँ, पिऊं लाल, काम न आवे मेरी खाल।
उत्तर – खटमल
746
टांगें है, पर चले नहीं, पीठ रहे, न सोय।
गोद हमारी गुलगुली, जो बुझे ज्ञानी होय।
उत्तर – कुर्सी
747
पांव तीन, सिर लकड़ी का, उसके निचे घर मकड़ी का।
उत्तर – तिपाई
748
लाली मुझ में है छिपी, देख न पावे कोय।
पत्थर पर घिस जाए तो, रंग उजागर होय।
उत्तर – मेंहदी
749
लाल ललइया, फटे झबरइया, जेहि चूमे मोहि, करे बाप – दइया।
उत्तर – मिर्च
750
चढ़ा रहूं मैं कांधे पे, कभी चढूं मैं कान।
सूत – भर समझो नहीं, परम शुद्ध मुझे जान।
उत्तर – पत्तल