Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
591
नाव के भीतर नदी, नदी के भीतर नाव।
बिन खेवे चलती सदा, रात में पाती छांव।
उत्तर – आंख
592
पीछे से टेढ़ा दिखे, सम्मुख गांठ – गंठीला।
बिन मंतर जो छुए, चीखे – उफ, जहरीला।
उत्तर – बिच्छू
593
खुद लेटे – लेटे चले, मर्दो के ही पांव तले।
न टेढ़ा, ना जाने ऐंठा, एक बार गद्दी पर बैठा।
उत्तर – खड़ाऊं
594
अंधियारे के घिरते ही, काम नहीं कुछ आता हूँ।
तब मैं चुप टंगा रहूं, पिता – खाता हूँ।
उत्तर – आईना
595
गहना तेरे आठ गांठ का, गांठ गली में रस।
जो इसको ना बुझे वो गाली पाए दस।
उत्तर – जलेबी
596
आठ हाथ की कटौती, नौ बित्ता की डोर।
खाली पेट दौड़ चली, भरे तो पलटे मोर।
उत्तर – नाव
597
आठ कुल्हाड़ी नौ तलवार, सबकी वो सह लेती वार,
चाहे भागो , साथ ही रहती, राजा – रंक सभी को गहती।
उत्तर – परछाई
598
मुख – स्वर से विहीन , पानी भी महीन।
उत्तर – घुआं
599
ठंडी थी, तो एक थी, आग चढ़े तो फांक।
हाथ जले, जो फाड़ के, तुरत ही देखे झांक।
उत्तर – रोटी
600
आदि कटे, तो बड़ी सवारी, मध्य कटे, तो काम।
अंत कटे, तो तीखी बोली, बूझो ले हरी नाम।
उत्तर – बादाम