Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
601
आदि कटे, तो बड़ी सवारी, मध्य कटे, तो काम।
अंत कटे तो तीखी बोली, बूझो ले हरि नाम।
उत्तर – कागज
602
खड़ा रहे, पर तेज चले, गर्मी में हवा उगले।
उत्तर – पंखा
603
आदि हटे तो जुटे रहे, अंत हटे दुःख दाई।
मध्य हटे तो पेट भरे, पावन नाम है भाई।
उत्तर – भारत
604
आठ काठ का जोड़ा, गोल, चले वो थोड़ा।
उत्तर – बैलगाड़ी का पहिया
605
आधी धुप्पा, आधी छइयां। जो समझे, चालाक है भइया।
उत्तर – चारपाई
606
आधा दूल्हा, आधा रोग, खड़ा रहे युगों से जोग,
जो उखड़ न पावे, तन पर रस्सी रहत झुलावे।
उत्तर – बरगद
607
आधे में वो खुद घुसे, आधे में हाथ लगाय।
रहे साथ तो हो आराम, चलते रहना वाको काम।
उत्तर – जूता
608
आना – जाना उसका भाए, हरे – सूखे में फांक कराए।
खाए दर्जनों दांत से, जूठन पक्का देत गिराए।
उत्तर – आरी
609
अंगुल भर कोठरी, सैकड़ों गाय समाय।
घर की माटी मोम बने, छुए कठिन हो जाए।
उत्तर – मधुमक्खी का छत्ता
610
अंत कटे तो बनता कौआ, प्रथम कटे तो हाथी।
मध्य कटे तो काम बने, मैं हूँ सबका साथी।
उत्तर – कागज