Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
611
आंत की तांत तांत की तोली।
मर्द की गांठ लुगाई ने खोली।
उत्तर – ताला – चाबी
612
ना गगन चढ़े न भू पर गिरे ,
जिसे मिले, उसके दिन फिरे।
उत्तर – गूलर का फूल
613
अंत काटो सदा बना रहेगा नेह, मर क्र भी अमर रहें, इसमें ना संदेह।
उत्तर – नेहरू
614
अक्षर तीन काया दोय, सीर पर चढ़ जाना होय।
जिधर निहारूं, जग उजियारा, ओढ़ू चादर तो अँधियारा।
उत्तर – कपड़ा
615
अक्षर तीन विचारो नाम, प्रथम कटे तो पड़ा रहूं,
मध्य कटे तो सख्त बनूं, हलका हूँ, उडसो उड़ूं – बहुं।
उत्तर – खटमल
616
ना खुद सोवे, ना सोने देय, तन का मटका भर – भर लेय।
उत्तर – तरबूज
617
अक्की कोठरी,बक्कल का दरवाजा।
लाल है बिछवन, रस मीठा पा जा।
उत्तर – नारियल
618
अड़ी पर गड़ी, सहारा बिन खड़ी, कटकटही औरत मर्द पर चढ़ी।
उत्तर – बया का घौंसला
619
अचरज बांग्ला एक बनाया, ऊपर नींव तले घर छाया।
न बांस, न बल्ली बंधन घने, कह खुसरो घर कैसे बने।
उत्तर – चमगादड़
620
अइटल पूछे चइठल से, लोगन के समुझाई।
बोलो ऐसा पक्षी कौन, उलटा लटकत भाई।
उत्तर – पानी जहाज