Answer paheliyan , पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Answer paheliyan:
121
ऊपर से गिरा बम, उसमें हड्ड़ी न दम।
उत्तर – ओला
122
पहले पीट-पाट, तब ठोक- ठाक, तब लेन- देन, तब खान – पान।
उत्तर – सुरती
123
हरा चोर लाल मकान, उसमें बैठा काला शैतान, गर्मी में वह दिखता, सर्दी में गायब हो जाता।
उत्तर – तरबूज
124
उस राजा की अनोखी रानी, दुम के रास्ते पीती पानी।
उत्तर – दिया
125
कितने रंगों से तन मेरा, रच- रच कौन सजाता,
फूल गोद में ले लेकर, झूला रोज झुलाता।
उत्तर – तितली
126
लाल- टैन पंखों में, उड़े अंधेरी रात में ,
जलती बाती बिना तेल के, जेड व बरसात में।
उत्तर – जुगनू
127
हरी – हरी मछली के, हरे – हरे अण्डे ,
जल्दी से बूझिए वरना पड़ेंगे डण्डे।
उत्तर – मटर की फली
128
आँखें दो हो जाए चार, मेरे बिना कोट बेकार ,
घुसा आँखों में मेरा धागा, दरजी के घर से मैं भागा।
उत्तर – बटन
129
काली हूँ, मैं काली हूँ, काले वन में रहती हूँ,
लाल पानी पीती हूँ, बताओ मैं कौन हूँ।
उत्तर – जूँ
130
मुझे छूकर जो आँख मले, उसे मैं रुला देती हूँ।
मुझे कोई मुँह लगाए, उसे मैं मजा चखा देती हूँ ?
उत्तर – मिर्च