Jocks, उपरोक्त चुटकुलों का संग्रह संक्षिप्त और मजाकिया पैकेज में हास्य की एक आनंददायक खुराक प्रदान करता है। प्रत्येक चुटकुले को केवल शब्दों में एक पंचलाइन देने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है, जो संक्षिप्तता और चतुर शब्दों के खेल की कला का प्रदर्शन करता है। पुरस्कार जीतने वाले बिजूका से लेकर व्यापक शब्दावली वाले डायनासोर तक, ये चुटकुले मुस्कुराहट और हंसी की गारंटी देते हैं। वे प्रदर्शित करते हैं कि कैसे कुछ अच्छी तरह से चुने गए शब्द मनोरंजन जगा सकते हैं और किसी का भी दिन रोशन कर सकते हैं। बातचीत में आनंद लाने और हल्का-फुल्का माहौल बनाने के लिए इन वाक्य-विचित्र रत्नों को साझा करें।
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संता: यार, मेरी बीवी बहुत ही स्मार्ट है।
बंता: सच में? कैसे?
संता: हां, कल उसने एक अजीब सी चीज की।
बंता: क्या?
संता: वो मेरे बच्चों के पिक्चर्स को देख कर मुझसे पूछती है, “ये तुम्हारे बच्चे हैं?”
बंता: वाकई बहुत स्मार्ट है, तुम्हारे बच्चे हैं की नहीं, ये तो वो सबको दिखा दिया!
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एक बार की बात है, एक आदमी ने अपने दोस्त से कहा, “तू जानता है, मेरी पत्नी मुझसे हमेशा बहस करती है कि मैं उसे कभी सुनता नहीं हूँ।”
दोस्त ने हंसते हुए कहा, “तुझे क्या लगता है, उसकी बातें बिना सुने तू किसी बड़े तथ्य को दवा की तरह खाने जैसी बिमारी से बच सकेगा?”
आदमी हँसते हुए बोला, “शायद तू सही कह रहा है, मुझे अब तक तो एक ही बार खाई है,
पर मैं जांच के लिए डॉक्टर के पास जा रहा हूँ, क्या पता वो मेरी सुनने की दवा पर कोई रिसर्च कर सकता है!”
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एक बार किसान राजू बाजार गया। वह देखते ही बहुत से लोग सड़क पर खड़े थे, लेकिन किसी के पास भी खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। राजू ने एक आदमी से पूछा, “ये सब क्यों खड़े हैं बिना पैसों के?” आदमी ने हँसते हुए कहा, “यहाँ पर ‘सोशल मीडिया वाली बनारसी साड़ी’ की फ्री डिमांड हो रही है।” राजू हंसते हुए बोला, “वाह! यहाँ तो सोशल मीडिया की भी दुकानी चल रही है, तो फिर तो किसानों का भी मीटिंग आयोजित करनी चाहिए – ‘फेसबुकर बैठक’!”
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एक बार की बात है, एक पंख वाला कौआ अपने दोस्त सिया से बोला, “तू जानता है, मैंने एक नया गिम शुरू किया है।”
सिया चिंतित होकर पूछी, “वाकई? वो कैसा?”
कौआ बड़ी खुशी से बोला, “हां, तूने सुना है, ‘एक पांच, छे पांच’? अब मैंने उसका आदर्श बनाया है – ‘एक पंख, छे पंख’।”
सिया हँसते हुए बोली, “तुम तो कभी नहीं सुधरोगे, कौआ।”
दोस्तों के बीच हास्यास्पद यह चुटकुला सबको हंसी आई और उनकी दिनचर्या में रंगिनी लाई।
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एक बार की बात है, एक खरगोश और कछुआ दोस्त बन गए। वो दिन-रात साथ रहते थे। एक दिन, खरगोश ने कछुए से कहा, “तू इतना धीरे-धीरे क्यों चलता है? मैं तो बहुत तेज़ चलता हूँ।”
कछुआ मुस्कराया और बोला, “यार, मैं तो धीरे चलता हूँ, लेकिन मैं तो तूझे उस दिन तक पकड़ लेता हूँ जब तू उछलने की सोच भी रहा हो!”
खरगोश के चेहरे पर शरम से लालिमा आ गई और उसने कहा, “बस, मैंने तो मजाक किया था!”
इस पर कछुआ हँसते हुए बोला, “देखा, मैंने तो कितनी देर में जवाब दिया? तू सोच भी नहीं सकता कि मैं कब तक पहुँच सकता हूँ!