Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
721
बिन हड्डी का नन्हा राक्षस, आए जब घिर आती रात।
गुन करता मस्त – मस्त हो, देख के मौका करता घात।
उत्तर – मच्छर
722
बिन बरखा दिखे कभी, ऐसा कभी नहीं हुआ।
रंग तेरे बहुतेरे हैं, पर हाय कभी नहीं छुआ।
उत्तर – इंद्रघनुष
723
मखमल की थैली में, हाय – हाय के बीच।
उत्तर – मिर्च
724
बच्चो, मैं हूँ ऐसा नर, मेरे धड़ में मेरा सर।
उत्तर – कछुआ
725
बिन पानी रूप न ले, पानी से गल जाय,
आग लगाकर फूंक दे, अजर – अमर हो जाय।
उत्तर – ईट
726
बिन तेरे मिले नहीं, रोज सुबह सन्देश।
एक जगह, पर चलत है, दैत्य – सा तुम्हारा वेश।
उत्तर – छपाई मशीन
727
पर बाजु नाहीं रखे, ना जल पिए, ना खाना चखे,
हाड़ – मांस न उसके पास, पल में पींगें भरे अकास।
उत्तर – पतंग
728
पर है, पर पक्षी नहीं, सबको मैं लुभाती हूँ।
पुंछ तनी रहे हमेशा, और उसी से खाती हूँ।
उत्तर – तितली
729
आदि – अंत को यदि मिला दो, बनूँ मैं बाल्टी का अंग।
पहले पहुँच वहां मैं जाऊं, जहां हो नाच मृदंग।
उत्तर – तबला
730
पूरी रहे, तो लपके चोर, मध्य न हो, तो बनता मोर,
अंत न हो, तो होता मोह , आदि न हो, हर लेंगे ओह।
उत्तर – मोहर