Paheliyan , पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
321
तन में और मन में, बेस सबके कण -कण में,
हर मुसीबत में याद करके, हर क्षण -क्षण में।
उत्तर – ईश्वर
322
ऊपर से केसर निचे सब्जा, बिच रंग सफेदा,
बिच में चक्का गोल, हिअ शोभे सुन्दर ज्यादा।
उत्तर – तिरंगा झंडा
323
सब दिन, एक दिन, एक दिन हजार,
चम -चम चमके, गांव बाजार।
उत्तर – दीप , दिया
324
एक पेड़ के बारह डाली, हर डाली में तीस पात,
पंद्रह काला पंद्रह उजला, सब मानों मेरी बात।
उत्तर – साल महीना दिन
325
काला पहाड़ उजली नदी, पानी मीठा होय,
राजा रंक भिखारी प्रिय, साधु संत सब कोय।
उत्तर – भैंस का दूध
326
घर बसे एक प्यारा दुश्मन, क्षण में मारे जान,
पवन प्रकाश आवाज दे, बोलो उसका नाम।
उत्तर – बिजली
327
एक मुठृठी राय, गेल छितिड़ाय,
गिनते – गिनते, बटरो नहीं पाय।
उत्तर – तारा
328
एक फल हजार बाती, जो न समझे गदहा के नाती।
उत्तर – केला
329
हरी थी मन भरी थी, लाल मोती जड़ी थी ,
राजा जी बाग में, दोशाला ओढ़े खड़ी थी।
उत्तर – भुटृटा
330
हाथ पैर लकड़ी पेट गढ़ा, जो न समझे बाप गधा।
उत्तर – नाव