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Paheliyan – 501 se 510 tak

Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!

Paheliyan:

501

ऐसी जात करम की हिनी, जिन देखि, तीन थू – थू किनी। 

उत्तर – पीकदानी 

502 

सीर पर सिकुड़ी, आगे छितरी, हर घर में है साजा, 

शान  चलती धूल उड़ाती, करती काम यह ताजा। 

उत्तर – झाड़ू 

503 

एक पुरुष  अचरज भेद, हाड़ – हाड़ में वाके छेद 

 मोहि अचंभा आवे ऐसे, जीव बसे हैं वामे कैसे। 

उत्तर – पिंजरा 

504 

एक मर्द और नारी चार, सब मिल जुल आते व्यौहार,

इनके घर में भेद न कोई, खान -पान एक साथहिं होई। 

उत्तर – पंजा 

505 

एक पेड़ का अचरज लेखा, मोती फैलाते आंखों देखा ,

जहां से उपजे वहां समाय, जो फल गिरे, जल – जल जाय। 

उत्तर – फव्वारा 

506 

कालिख मलना ही सिंगार, आग ही इसका होवे यार। 

उत्तर – हांड़ी 

507 

गोल – मटोल खाल है मोटी, देह पर फैला कांटा ,

कच्चा चढ़े कड़ाही में, पका तो आम – सा बांटा। 

उत्तर – कटहल 

508 

एक बढ़ पत्ता , वह भी लत्ता। 

उत्तर – झंडा 

509 

लगता मधुमक्खी  छत्ता, पुनि उग आए ये अलवत्ता। 

उत्तर – दाढ़ी 

510 

एक बहादुर छोटी काया, बोले -बोले दुःख देने आया। 

उत्तर – मच्छर 

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