Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
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एक बीत्ता का अप्पा – अप्पा, सवा बित्ता का है डंडा,
जब – जब पिया इसे हिलाए, तब – तब देवे ठंडा।
उत्तर – हाथ का पंखा
512
एक बित्ता का काठ, अजब है इसका पाठ,
जो इसे कुचले – फारे, उसी को ये खूब निखारे।
उत्तर – दातौन
513
काला हूँ इसीलिए विश्व, मुझे काला हिरा कहता,
मुझसे दुनिया रोशन होती, आग में तपता रहता।
उत्तर – कोयला
514
एक डिब्बी में बून्द डोबा, कागज पर है लेखा – जोखा।
उत्तर – दावात – कलम
515
मुंह काला, पर काम बड़ा है, कद छोटा पर नाम बड़ा है ,
मेरे वश में दुनियां सारी, रहूं जेब में सस्ती प्यारी।
उत्तर – कलम
516
गहरा ताल, खौलता पानी, तैरने पर ही फूलती रानी।
उत्तर – पूरी
517
दो कान, एक गहरा पेट, होती रोज चूल्हे से भेंट।
उत्तर – कड़ाही
518
काली है, पर काग नहीं, लंभी है, पर नाग नहीं ,
बल खाती, पर डोर नहीं, बांधते है , पर डोर नहीं।
उत्तर – चोटी
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कुंजी – कुंजी ताला, सौ बार बने निवाला।
उत्तर – शरीफा
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गरमी में ये पैदा होवे, धुप पड़े तो बढ़ जावे,
कोमल इतना की पूछो मत, लगे हवा, तो ये कुम्हलाए।
उत्तर – पसीना