Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
561
पशुओं में है मेरा नाम, प्रथम कटे, यार बन जाऊं,
मध्य कटे, तो मस्तक बनता, अंत कटे, सीता हो जाऊं।
उत्तर – सियार
562
तीन अक्षर का मेरा नाम, जल में रहता मेरा धाम,
मेरे आंसू झूट कहाए, जल में बैर नहीं कर पाए।
उत्तर – मगर
563
तीन अक्षर का मेरा नाम, मैं एक देश का नाम।
प्रथम कटे तो मुंह में जाता, मध्य कटे प्राण बन जाता।
उत्तर – जापान
564
उल्टा – सीधा करके देखो, एक रूप ही पाओगे, लंबा – छोटा होता रहता, बूझो, ज्ञानी कहलाओगे।
उत्तर – रबर
565
धुप सह कर ढके रखूं, मानुष का आधा शीश,
चाहो, तो झोले में या, जेब में रखो जगदीश।
उत्तर – टोपी
566
दाड़ी वालों छोकरो, हाटो – हाट बिकाय,
दो आँखों, पर दिखे नहीं, मेरो नाम बताय।
उत्तर -नारियल
567
सभी मोहि भुनावत है, पर खावत नहीं रहूं तो, खरीदारी नहीं होय।
उत्तर – रुपया
568
दस करती है दिन – भर काम, दस का यों ही होता नाम,
बिसों रहती सबके साथ, देखो धर पैरों पर हाथ।
उत्तर – अंगुलियां
569
द्वार पर, दिवार पर, चिपकी यों ही पड़ी है,
कारज कबहुं नहीं करत, खाने पर आँखों गड़ी है।
उत्तर – छिपकली
570
दिन में खड़ी, रात में पड़ी, रस्सी की लड़ी, वस्त्र बिन गड़ी।
उत्तर – चारपाई