Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
651
अद्भुत टेकि का यह खेल, मीठा रहता इसका तेल।
उत्तर – मधुमक्खी
652
कोरा रहूं, तो महत्त्व रहे, स्याह बनूँ तो वो और बढ़े।
छापा निमित भी आऊं काम, कौआ – हाथी के मिलजुल नाम।
उत्तर – कागज
653
घटत – बढ़त का चक्र है, रूप है अति सलोना।
ऐसे आंगन में खेलत है, नाहिं है जिसका कोना।
उत्तर – चन्द्रमा
654
तन का कोमल, चाल से चोर, मारो जब तो लगे ना जोर।
उत्तर – खटमल
655
दोंनो हाथ डंडा लचे, जो चाहे सो वो रचे।
उत्तर – कुम्हार
656
तेली का तेल, कुम्हार का हंडा, बूझो तो गाड़ी बुद्धिमानी का झंडा।
उत्तर – दिया
657
उजली बिल्ली, पूंछ हरी होय, बिन बोले ना अंदर सोय।
उत्तर – मूली
658
एक पक्षी – खा दिखूं, उड़त रहत आकाश।
अंधियारे से ना उरुं, पंख में रहत प्रकाश।
उत्तर – जुगनू
659
कहलाती हूँ मौसी, गुर्रा कर झौंसी।
साधे रहती पूंछ, नारी हूँ, पर है मूंछ।
उत्तर – बिल्ली
660
गोल – मटोल, पर ना लुड़कुं, रहूं जमीन पर लोटा,
इतना पर जो ना समझे, वो है अकल का मोटा।
उत्तर – लोटा