Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
691
देह काठ मुंह आठ, सूरत जानी – पहचानी,
जीभ ना राखै मुंह में, पर बोले वो मीठी बानी।
उत्तर – बांसुरी
692
बुझ बराती फल एक सुन्दर, फूल, पान सब उसके अंदर।
उत्तर – आतिशबाजी
693
नींव है हवा में, भूमि तरफ दरवाजा,
हवा चले तो हिले, सोया साहबजादा।
उत्तर – बया का घोंसला
694
जड़ कहे, मैं अबर – खबर, पेड़ कहे, मैं रानी।
फूल कहे मैं नवाब, फल लागे सुल्तानी।
उत्तर – खजूर
695
सिर जाली, पेट खाली, पसली एक से एक निराली,
पावों को देता आराम, उलट के आए दूजो काम।
उत्तर – मोड़ा
696
नाचे, पर ना बाजा साथ, पांव में लोहा, खाली माथ।
ना कैदी, पर बंध न पाता, खुलता, तो खुश नाच दिखाता।
उत्तर – लट्टू
697
सोचो की कोई प्यार की, सजा ऐसी भी भरेगा,
करम ऐसा की रहे नाम, पर वा ना करेगा।
उत्तर – परवाना
698
पतली कमर पे चढ़ आए, शाम सवेरे डूब नहाए,
पेट बड़ा, पर गर्दन छोटी, भरा रहे, तो चढ़ता चोटी।
उत्तर – घड़ा
699
चार खम्भों पर चलता है, हरे – भरे पर पतला है।
बड़े पात से उसके कान, दूर से कोई ले पहचान।
उत्तर – हाथी
700
पैर चिरहा, पीठ कुबड़ा, सेठ के संदूक में रहे पड़ा।
उत्तर – कौड़ी