Majedar paheliyan, पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Majedar paheliyan :
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दिन में सोये , रात को रोये।
जितना रोये , उतना खोये।
उत्तर- मोमबत्ती
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रंग बिरंगी मेरी काया है, बच्चों को मुझ से भाया है,
धरा चला मुझको भाया है , मुरलीअधर न लाया है।
फिर भी नाद सुनाया है।
उत्तर – लट्टू
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शिवजी जटा में गंगा का पानी , जल का साधु , बूझो तो ज्ञानी।
उत्तर – नारियल
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मंदिर में इसे शीश नवायें , मगर राह में ठुकरायें।
उत्तर – पत्थर
85
दूर के दृश्यों को वह, घर पर दिखलाता है।
उसका नाम बताओ बच्चों, वह सबके मन को भाता है।
उत्तर – दूरदर्शन
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अधर ऊपर पत्थर, पत्थर ऊपर जैसा ,
बिन पानी के महल उठाये, वह कारीगर कैसा।
उत्तर – दियार
87
सिर काट दो दिल दिखाता हूँ, पैर काट तो आर्द्र बना हूँ।
पेट काट दो, कुछ न बताता, प्रेम से अपना शीश नवाता।
उत्तर – नमक
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यदि मुझको उल्टा कर देखो, लगता हूँ मैं नव जवान।
कोई पृथक नहीं रहता, बूढ़ा, बच्चा या जवान।
उत्तर – वायु
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अगर नाक में चढ़ जाऊँ, कान पकड़ कर तुम्हें पढ़ाऊँ।
उत्तर – चश्मा
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मैं हूँ हरे रंग की रानी, देखकर आये मुहँ में पानी ,
जो भी मुझको चबाएँ, उसका मुहँ लाल हो जाय।
उत्तर – पान