Paheliyan,पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
531
ना मारा, ना खून किया, सबका सिर काट लिया।
उत्तर – नाख़ून
532
जल में रहे, जल में बसे, वो गावे राग खराब।
चले हाथ -पांव दोनों से पानीपुर का नवाब।
उत्तर – मेढक
533
जो पहुंची मैनें भेजी, वो पहुंची तक तो पहुंची है।
गर पहुंची तो क्या पहुंची, जोई पहुंची तक न पहुंची है।
उत्तर – पहुंची
534
एक पहेली बूझ मेरी रानी, एक घड़े में दो रंग पानी।
उत्तर – अंडा
535
काला रंग, फिर भी लागे, सभी को सुन्दर रूप।
तना रहे, पर ना कुम्हलाए, चाहे कितनी लागे धूप।
उत्तर – छाता
536
हाथ नहीं, पैर नहीं, फिर भी पंजा पाया।
कच्चे में गंद लगे, सूखे तो अन्न पकाया।
उत्तर – पेन्सिल
537
मुर्गी ऐसी एक निराली, चलत -चलत थक जाए।
लाओ चाकू, काटो गर्दन, फिर वो चलने पाए।
उत्तर – रेंठ
538
निज गुफा में कभी – कभी होय, सूड़ न करे न करे, तो इज्जत धोय।
उत्तर – तारे
539
एक मुठ्टी राई, रात – भर छीटाई ,
गिनते – गिनते थक गए, वा भी छोर न पाई।
उत्तर – तारे
540
ईट है , पर नहीं मकान, इक्के हैं, नहीं कोचवान,
बिना तमोली छितरे पान, राजा – रानी ना दरबान।
उत्तर – ताश