Paheliyan , पहेलियों की दुनिया में आपका स्वागत है, जहां रचनात्मकता और बुद्धि हमारे दिमाग को चुनौती देने और मनोरंजन करने के लिए एक साथ आते हैं। पहेलियां सदियों से मानव इतिहास का हिस्सा रही हैं, जो हमारे दिमाग का व्यायाम करने और हमारे समस्या को सुलझाने के कौशल का परीक्षण करने का एक मजेदार तरीका प्रदान करती हैं। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक समय की पॉप संस्कृति तक, पहेलियों ने कई रूपों और विविधताओं को अपना लिया है, प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय है। इस ब्लॉग में, हम पहेलियों की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें क्लासिक ब्रेन टीज़र से लेकर नई और नई चुनौतियाँ शामिल हैं। खोज की इस यात्रा में हमसे जुड़ें और देखें कि क्या आपके पास रहस्य को सुलझाने के लिए क्या है। क्या आप अज्ञात की चुनौती लेने के लिए तैयार हैं? चलो शुरू करें!
Paheliyan:
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पंख हैं पर नहीं पंक्षी, क्योंकि न मैं देती अण्डे।
चल सकूं पर जानवर नहीं, जानो नहीं तो पड़ेंगे डंडे।
उत्तर – चमगादड़
282
एक बालक देखा ऐसा, जिसने स्कूल कभी न देखा।
वह जब हिसाब देता है, वह हाजिर जवाब होता। है
उत्तर – कैलक्यूलेटर
283
लाल रंग की पोशाक देख, लोग मुझसे घबराए।
हरे रंग की पोशाक देख, लोग बड़े प्यार से खोयें।
उत्तर – हरी मिर्च
284
दो अक्षर का मेरा नाम, उल्टा पढ़ो तो एक गोली का नाम,
प्रथम कटे तो कुमार मैं होता हूँ, अंत कटे तो नारायण मैं होता हूँ।,
बोलो यारो मेरा क्या है नाम।
उत्तर – नाकु
285
एक चीज ऐसी कहलाए, हर मजहब का आदमी खाए।
उत्तर – कसम
286
जंगल में मायका,गाँव में ससुराल,
गाँव आई दुल्हन, उठ चला बवाल।
उत्तर – झाड़ू
287
आदि कटे तो आदमी बने, अन्त कटे तो वीर,
मध्य कटे तो दिन रहा, नाम बताओ उनका यार?
उत्तर – वानर
288
ऐसा क्या है? जिसे हमे छू नहीं सकते ,
पर देख सकते हैं।
उत्तर – स्वप्न
289
ऐसा क्या है ? जो खराब हों जाए तो,
हम काम नहीं कर सकते।
उत्तर – हमारा मूड
290
कौन- सा अंधेरा है, जो रोशनी से बनता है।
उत्तर – परछाई